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Indi - eBook Edition
Eeswar ke Beej

Eeswar ke Beej

Language: HINDI
Sold by: Aadhar Prakashan
Hardcover
ISBN:
395.00    257.00
Qty:
Paperback
ISBN:
200.00    180.00
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Book Details

विनोद शाही के उपन्यास 'ईश्वर के बीज ' की पाण्डुलिपि पर मिली विद्वानों की टिप्पणियां। उपन्यास क्या है, एक पूरा यूटोपिया है। हमारे समय में अब हमारी रचनाशीलता अपने भविष्य के यूटोपिये को खोकर बैठ गयी है। इस उपन्यास की खासियत, जो मुझे लगी, वह यह है कि आप सभ्यता और संस्कृति की सुदूर अतीत से चली आ रही परंपराओं के जीवंत पक्ष को आत्मसात करके आगे बढ़े हैं। इधर बहुत से लोगों में, अपनी परंपरा की बहुत सी बातों के प्रति जो नकारात्मक भाव दिखाई देता है, उससे आप मुक्त हैं। इसलिये उसमें अंतर्निहित शक्ति के स्रोतों तक आप आसानी से पहुंच पाये हैं। और एक बात कि आपने इतने सशक्त पात्रों को जिस तरह खड़ा कर के दिखा दिया है, वह हैरान करता है। मैं इसे दोबारा पढ़ूंगा। फिर इस पर कुछ लिखूंगा भी। और एक बात, अगर आप गुरुमुखी जानते है, तो इसका पंजाबी में ज़रूर अनुवाद कीजिये। क्या ही अच्छा हो कि यह हिंदी पंजाबी में एक साथ छपे। पंजाब के लोगों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिये। हालांकि मैं यहां पंजाब से दूर बैठा हूं, बहुत सी आंचलिक बातों को ठीक से आत्मसात करने में मुश्किल हो रही है। पर उपन्यास की शक्तिऔर गहन अर्थवत्ता इसके बावजूद मुझे छू रही है। आप सच में प्रणाम करने लायक लग रहे हैं।
लाल बहादुर वर्मा ( प्रख्यात इतिहासकार )

यह अपनी तरह का बहुत गंभीर, ठोस जमीनी काम है। इतिहास में ऐसे उपन्यास कभी कभार ही लिखे जाते हैं। यह उपन्यास विनोद शाही के चिंतन एवं सृजन की ऐसी प्रयोगशाला है जिसमें भारतीय समाज, इतिहास, सभ्यता और राजनीति का गहन विमर्श है। उपन्यास की पारम्परिक लीक से हटकर लिखा गया यह उपन्यास एक नयी बहस को जन्म देगा और उपन्यास विधा को भी एक नयी दिशा देगा।
राकेश कुमार ( वरिष्ठ आलोचक )

समकालीन समय में मैं इस उपन्यास को उस कथा प्रणाली की शुरुआत के रूप में देखता हूँ जिसमें परम्परा का पुनरस्मरण ही नहीं वर्तमान से संपृक्ति का महाभाव भी अंकित हो जाता है। जितना मैं इसे पढता जाता हूँ उतना ही आलोकित होता हूँ। किसी साधक के शब्द में वह प्रकाश होता है। मुझे कजानजाकिस, हरमन हेस और इर्विन स्टोन के लेखन की याद आती है। यह जादुई यथार्थवाद (मैजिकल रीयलिज्म) के बरक्स अद्भुत आस्तित्विक यथार्थवाद (इग्जिस्टेंशियल रीयलिज्म) है ।
आनंद कुमार सिंह ( साहित्यकार )

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